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Tuesday, June 7, 2011

बंद आँखों ने किये सजदे जो ......!!!

बंद आँखों ने किये सजदे जो
खुली आँखों ने कब देखा है

बिगड़ गयी हाथो की लकीरे
अब लफ्जो में क्या रखा है

गलियारे में ख्वाब खड़े हैं
बाहर तो जाना भी मना है

मंद रोशनी में छिपने दे
चिराग की क्या खूब वफ़ा है

कल कब्र में सांसे लेगी
हर नज़्म को अंजाम पता है