नन्हे हाथों को थामकर, नन्हे क़दमों को चलना सिखाना
पापा कभी धमकाए तो, चोरी से आँचल में छुपाना
खेल में आई खरोंच पे, पड़ोस की आंटी से लड़ जाना
एक बूँद जो गिरे आँख से, खुद नदिया की धार बहाना
एक जिन्दगी बन जाती है, उन पल की बुनियाद पर
उसी प्यार के आँचल में, रहना चाहूँ जीवन भर
इन होठो पे हंसी लाने को, करती हो तुम कितना बहाना
मायूसी के हर कतरे को, तेरी गोद का है सिरहाना
पहले इश्क की लगी हवा जो, बिन कहे ही तुमने जाना
जितना समझती हो तुम मुझको, उतना तो मैंने ना जाना
एक जिन्दगी बन जाती है, उन पल की बुनियाद पर
उसी प्यार के आँचल में, रहना चाहूँ जीवन भर
पापा कभी धमकाए तो, चोरी से आँचल में छुपाना
खेल में आई खरोंच पे, पड़ोस की आंटी से लड़ जाना
एक बूँद जो गिरे आँख से, खुद नदिया की धार बहाना
एक जिन्दगी बन जाती है, उन पल की बुनियाद पर
उसी प्यार के आँचल में, रहना चाहूँ जीवन भर
इन होठो पे हंसी लाने को, करती हो तुम कितना बहाना
मायूसी के हर कतरे को, तेरी गोद का है सिरहाना
पहले इश्क की लगी हवा जो, बिन कहे ही तुमने जाना
जितना समझती हो तुम मुझको, उतना तो मैंने ना जाना
एक जिन्दगी बन जाती है, उन पल की बुनियाद पर
उसी प्यार के आँचल में, रहना चाहूँ जीवन भर