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Saturday, May 12, 2012

उसी प्यार के आँचल में...!!!

नन्हे हाथों को थामकर, नन्हे क़दमों को चलना सिखाना
पापा कभी धमकाए तो, चोरी से आँचल में छुपाना
खेल में आई खरोंच पे, पड़ोस की आंटी से लड़ जाना
एक बूँद जो गिरे आँख से, खुद नदिया की धार बहाना
एक जिन्दगी बन जाती है, उन पल की बुनियाद पर
उसी प्यार के आँचल में, रहना चाहूँ जीवन भर

इन होठो पे हंसी लाने को, करती हो तुम कितना बहाना
मायूसी के हर कतरे को, तेरी गोद का है सिरहाना
पहले इश्क की लगी हवा जो, बिन कहे ही तुमने जाना
जितना समझती हो तुम मुझको, उतना तो मैंने ना जाना
एक जिन्दगी बन जाती है, उन पल की बुनियाद पर
उसी प्यार के आँचल में, रहना चाहूँ जीवन भर

Saturday, October 1, 2011

आखिरी मुलाक़ात ......!!!

This song is about an evening. 
A guy had break-up with his girl friend because she can't be with him due to family reasons. She stops meeting him, talking to him. He begs thousand times to come back but in vain. When all hopes are demolished, the guy asks her for one last evening before laeving the city. The kind of beautiful evening under the stars they always used to have together. She agrees only when the guy promises that ther will be no begging, no cry, just sweetness and goodbye.

आँखों में लाखों बात, तारों की कायनात, जागेंगे सारी-सारी रात
नयी कहानी का, आगाज़ करना है, हाथों में लेकर हाथ
न सोचना है कल, बस जीने दो ये पल !!

आँखों की, हरियाली, दिल का रंग बदले
बातों में, कुछ बात हो, और हवा बिलकुल बदले
दिल के हजारो ख्वाब, खोने हैं हमको आज, होगी न फिर मुलाक़ात
नयी कहानी का, आगाज़ करना है, हाथों में लेकर हाथ
न सोचना है कल, बस जीने दो ये पल !!

टूटता, तारा भी, आज क्यूँ न आया
बाँहों में, छुपता था, अब छूटता साया
वादा है भूलेंगे, बिन तेरे रह लेंगे, होंगे नए जज़्बात
नयी कहानी का, आगाज़ करना है, हाथों में लेकर हाथ
जब सामने है कल, कैसे जीयें ये पल !!

Tuesday, June 7, 2011

बंद आँखों ने किये सजदे जो ......!!!

बंद आँखों ने किये सजदे जो
खुली आँखों ने कब देखा है

बिगड़ गयी हाथो की लकीरे
अब लफ्जो में क्या रखा है

गलियारे में ख्वाब खड़े हैं
बाहर तो जाना भी मना है

मंद रोशनी में छिपने दे
चिराग की क्या खूब वफ़ा है

कल कब्र में सांसे लेगी
हर नज़्म को अंजाम पता है

Saturday, November 13, 2010

पलकों के पीछे भी.....!!!!

पलकों के पीछे भी, कोई एक कहानी है
धुंधली तस्वीरों को, देनी जिंदगानी है

खुबसूरत फूलों पे, भंवर ज्यूँ मंडराता है
शाम ज्यूँ ढलने लगे, दिल भी तब घबराता है
तन्हाई रातों की, आनी और जानी है
धुंधली तस्वीरों को, देनी जिंदगानी है

क्षितिज के दो राहों पे, ख्वाब है दिलकश कई
परछाई को जो बांध ले, डोर वो मुमकिन नहीं
आँखों से आँखों की, बातें रह जानी है
धुंधली तस्वीरों को, देनी जिंदगानी है

Sunday, August 22, 2010

अगर कह नहीं सकू तुमसे......!!!!!

अगर कह नहीं सकू तुमसे, क्यू धरकन जुदा है इस दिल से
क्यू मिलती नहीं नजरो से नज़र, सब कुछ तो कहा इन आँखों ने

हुस्न की वादिया ये शबनम भरी, धुप में भी है लाती बरसात को
तेरे रहते जरुरत लगती नहीं, चांदनी की सारी कायनात को,
क्यू धरकन में है नयी हलचल, क्यू खोया है दिल अब हरपल
क्यू मिलती नहीं नजरो से नज़र, सब कुछ तो कहा इन आँखों ने

रात दिन दिल ये खोया हुआ, अजनबी ये कैसा एहसास है
रंग फिजा के हुए फिर से गहरे, ख्वाबो में भी जाने कुछ ख़ास है
क्यू आँखों में वो तस्वीर है, इश्क में खींचती जंजीर है 
क्यूँ मुहब्बत हुई है मुझे इस कदर, सब कुछ तो कहा इन आँखों ने

Monday, October 13, 2008

Ek Hasin Mulaqat

hai dili koi tamanna, ya adhuri baat hai
khwabon ke har aaine me, ek hasin mulaqat hai

ru-b-ru unse nigahe, raat din hoti rahi
keh na paye baat fir bhi, baat jo is dil me thi
lab hile kuch kehne ko to, dekha na koi sath hai
khwabon ke har aaine me, ek hasin mulaqat hai

gumshuda is dil ko karke,gumshuda khud ho gaye
in adhuri khwahisho ke, ye sitam kaise sahe
kaise ye unko bataye, kya idhar halat hai
khwabon ke har aaine me, ek hasin mulaqat hai

Tuesday, March 11, 2008

शराब की प्याली से......!!!!!

आंखों से समंदर अभी उतरा नही,
और तुम्हे!
होठों को गले लगाने की तमन्ना है?

फासलों की क़द्र कर,
दिल के जज्बात छुपाकर,
लोग दो बूँद अश्क बहा दिया करते हैं
और तुम्हे!
हर बूँद को जश्न मे तब्दील करने की तमन्ना है?

जब आँखें ख्वाबों के आँचल मे लिपटकर,
दो रूहों के मीलन को
इश्क के धागे से बुना करती थी
रौशनी बिखर जाती थी पर
अंगडाई दस्तक न दिया करती थी
तब होठ चुपचाप हर दास्ताँ की गवाही दिया करते थे
कभी गजले बनाकर शौक से महफिल सजाया करते थे
और तुम्हे!
खामोश गजलों के, अल्फाज़ बदलने की तमन्ना है?

लाखों परिवारों की बस्ती,
तुम्हारे अन्दर सफर किया करती हैं
कोई जोरू जब-तब तुम्हारे आगोश मे,
अपनी किस्मत तलाशा करती है
बादशाहों की सल्तनत ने,
तुम्हारे आईने मे कई हसीन नजारें देखे हैं
और तुम्हे!
अब एक लाश को कब्र मे दफनाने की तमन्ना है?