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Saturday, November 13, 2010

पलकों के पीछे भी.....!!!!

पलकों के पीछे भी, कोई एक कहानी है
धुंधली तस्वीरों को, देनी जिंदगानी है

खुबसूरत फूलों पे, भंवर ज्यूँ मंडराता है
शाम ज्यूँ ढलने लगे, दिल भी तब घबराता है
तन्हाई रातों की, आनी और जानी है
धुंधली तस्वीरों को, देनी जिंदगानी है

क्षितिज के दो राहों पे, ख्वाब है दिलकश कई
परछाई को जो बांध ले, डोर वो मुमकिन नहीं
आँखों से आँखों की, बातें रह जानी है
धुंधली तस्वीरों को, देनी जिंदगानी है

3 comments:

Rupendra Almast said...

awesome baid

Pragya said...

nice :)

Surya Pratap Mishra said...

acha likha hai..aise likhega to shayad khuda ka pata mil jayega..