पलकों के पीछे भी, कोई एक कहानी है
धुंधली तस्वीरों को, देनी जिंदगानी है
खुबसूरत फूलों पे, भंवर ज्यूँ मंडराता है
शाम ज्यूँ ढलने लगे, दिल भी तब घबराता है
तन्हाई रातों की, आनी और जानी है
धुंधली तस्वीरों को, देनी जिंदगानी है
क्षितिज के दो राहों पे, ख्वाब है दिलकश कई
परछाई को जो बांध ले, डोर वो मुमकिन नहीं
आँखों से आँखों की, बातें रह जानी है
धुंधली तस्वीरों को, देनी जिंदगानी है
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3 comments:
awesome baid
nice :)
acha likha hai..aise likhega to shayad khuda ka pata mil jayega..
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